समय की गति में सेवाभावी संस्थाओं की ओर से स्थापित प्याऊ नजर नहीं आ रही है.

समय की गति में सेवाभावी संस्थाओं की ओर से स्थापित प्याऊ नजर नहीं आ रही है.

बोतलबंद पानी की बढ़ी मांग
बूटीबोरी. पहले गर्मी के मौसम में हर चौराहों पर सार्वजनिक प्याऊ नजर आते थे जो अब काफी कम प्रमाण में नजर आ रहे हैं. इस वर्ष मार्च के पहले सप्ताह से ही तेज धूप और बढ़ते तापमान ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. कड़ी धूप और गर्मी के कारण बोतलबंद पानी की मांग बढ़ी हैं. परिणामस्वरूप व्यवसाय तेजी से चल रहा है, किंतु शुद्ध पेयजल के नाम पर केवल पानी ठंडा कर धड़ल्ले से बेचने का गोरखधंधा कुछ व्यवसायियों ने शुरू किया है. लोगों द्वारा जल शुद्ध किया जा रहा है, या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती.

परिणामस्वरूप पैसा कमाने के लालच में बोतलबंद, लेकिन अशुद्ध पानी बेचकर नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. आम नागरिक घर के मटके में एक दिन बासी हुआ पानी नहीं पीते, वहीं दूसरी ओर बोतलों में कई दिनों से सील किया पानी सभी खुलेआम बेझिझक पीते हैं. ग्रीष्मकाल में कुछ विक्रेता बोतलों पर उत्पादन की तिथि डालने में टालमटौल करते दिखते हैं. कुछ कंपनियों का पानी मिनरल होता है जबकि कुछ कंपनियों के पैकेज्ड वॉटर के नाम पर बोतलबंद पानी बेच रही हैं के इन सभी बातों के कारण पहले सार्वजनिक स्थलों पर लगाई जानेवाली प्याऊ की संख्या घट चुकी है. समय की गति में सेवाभावी संस्थाओं की ओर से स्थापित प्याऊ नजर नहीं आ रही है

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