butibori

चमत्कार या अफवाहें देखिए भगवान शिव का वाहन नंदी पी रहा दूध.

बुटीबोरी विरसवारकर प्रभाग नंबर ७ में शनिवार 5 मार्च 2022 रात से चर्चाओं का दौर शुरू हुआ कि शिवालयों में भगवान शिव का नंदी गाय का दूध और पानी पी रहा है। जिसके बाद शनिवार दोपहर से शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगने लगी। लोग अपने स्तर पर दूध और पानी लेकर पहुंचने लगे। लोगों ने नंदी को पानी और गाय का दूध पिलाकर भक्ति भी शुरू कर दी। लोगों का कहना था कि सच में भगवान शिव का नंदी दूध पी रहा है, ये एक चमत्कार है।

बता दें बुटीबोरी विरसवारकर के शिव मंदिरों में स्थापित नंदी की मूर्ति के दूध पीने के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इनके देखादेखी अंचल के लोगों ने भी शिव मंदिरों में दूध-पानी पिलाने की कोशिश की। लोगों ने एक-दूसरे को फोन करके इसकी सूचना दी।

tvs ayansh

जानकारों ने कहा कि ये आस्था का विषय है, कुछ लोगों को ऐसा लगा होगा कि नंदी दूध पी रहे हैं पर ऐसा है नहीं।

जानकारों का कहना है मूर्ति का दूध-पानी पीना संभन नहीं है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है, बाइनरी थ्योरम लागू होता है। पृष्ठतनाव के कारण संगमरमर या पत्थर की मूर्तियों या फिर फर्श या दीवार के भीतर पतली दरार पड़ जाती है जिससे कभी-कभी दूध या पानी भीतर जाता है। मूर्ति दूध पीती नहीं है। जगह मिलते ही वहां किसी न किसी हिस्सा से बाहर निकलने लगता है।

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने एक प्रयोग के जरिये किसी भी मूर्ति द्वारा दूध या पानी पीने की घटना की व्याख्या करते हुए बताया कि कोई भी प्रतिमा दूध नहीं पीती है। बल्कि द्रव्यों की गति, पृष्ठ तनाव, आसंजन और संबंद्धता जैसे भौतिक गुणों के कारण ऐसा प्रतीत होता है।


पृष्ठ तनाव यानी सरफेस टेंशन द्रव्यों का वह गुण है जिससे वह अपने क्षेत्रफल को कम से कम बनाए रखने का प्रयास करता है। द्रव्यों के अंतरआणविक बल से उत्पन्न इस तनाव के कारण द्रव्य की ऊपरी परत इलास्टिक शीट की तरह व्यवहार करती है। अगर किसी बंद किए नल की टोंटी से टपकती बूंद को स्पर्श किया जाये तो वह सरक कर हाथ में आ जाती है। इसी प्रकार जब दूध से भरे चम्मच को किसी बाहर की ओर निकली आकृति वाली मूर्ति से स्पर्श किया जाता है तो दूध का पृष्ठ तनाव द्रव्य को ऊपर की ओर चम्मच से बाहर खींचता है। खिंचने के बाद गुरुत्वाकर्षण के कारण यह दूध मूर्ति से नीचे की ओर सरक जाता है। आस्था के कारण नीचे जाते दूध पर ध्यान नहीं जाता है।