इंडोरामा के कामगारों का आंदोलन

मांगें नहीं हो रहीं पूरी, प्रशासन की उदासीनता

बूटीबोरी, बूटीबोरी शहर एशियाखंड की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई है. जिसमें इंडोरामा * सिंथेटिक कंपनी सबसे बड़ी कंपनी मानी जाती है. ★ जिसमें हजारों कामगार मेहनत कर अपना जीवनयापन करते है. किंतु पिछले कुछ समय से कंपनी प्रशासन द्वारा उपेक्षापूर्ण रवैया बरतने से उन कामगारों की मांगें अभी तक पूरी ही नहीं हो पायी है.

इससे कामगारों द्वारा अपनी विविध मांगों को लेकर आंदोलन शुरू है. इंडोरामा कंपनी में ठेकेदारों द्वारा लगाये गये कामगारों को करीब 10 से 15 वर्ष हो चुके है. लेकिन पगार सिर्फ वहीं 10 से 15 हजार रुपये के अलावा कंपनी की ओर से बिना एग्रीमेंट के कंपनी में 15 वर्षों से लगातार कार्यरत है.

कंपनी की ओर से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने से उन कामगारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपनी विविध मांगों को लेकर वे कामगार कंपनी के सामने विगत 12 दिनों से धरने पर बैठे हैं. लेकिन कंपनी मैनेजमेंट के कानों पर अभी तक जरा भी जू नहीं रेंगा है.

इस धरना आंदोलन में महिला, पुरुष सभी कर्मचारी शामिल हो रहे है. 12 दिनों से अभी तक उनकी किसी भी समस्या का हल नहीं हो पाया है. बताया गया कि कंपनी को सुचारू रखने के लिए कंपनी के ही आदमी कंपनी चला रहे है. भारतीय जनता पार्टी कामगार आघाड़ी व विदर्भ कामगार संगठन के सभी कामगार कंपनी के सामने तपती धूप में अपनी मांगों को लेकर बैठक हुए है.

उनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है. इन कामगारों की मांगों में समान वेतन और 3 वर्ष का एग्रीमेंट करने सुब की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है. तपती चिलचिलाती धूप में भी वे कामगार महिला, पुरुष सभी अपने हक व न्याय के लिए लड़ रहे है. रात दिन मेहनत, मजदूरी करने वाले इन्हीं कामगारों की कड़ी मेहनत के कारण ही कंपनी दिनों दिन प्रगति कर रही है. इसके बावजूद उन मेहनतकश मजदूरों को न्याय नहीं मिल पा रहा है.

तपती, चिलचिलाती धूप में भी दे रहे धरना

नहीं किए जा रहे परमानेंट

विदर्भ कामगार संगठन अध्यक्ष बल्लु श्रीवास ने कहा इस तरह से कामगारों की मांगों पर नजरअंदाज करना, कंपनी कामगारों पर अन्याय कर रही है. करीब 10 से 15 वर्षों से काम कर रहे कामगारों को तो कंपनी ने परमानेंट कर देना चाहिए चाहे वह ठेकेदारी हो या कंपनी के कामगार.
■ ठेकेदारी द्वारा लगाये गये कामगार अगर कंपनी द्वारा थोड़ी सुविधा मांग रहे हो तो वह उनका हक है. यहीं कामगार कंपनी में सबसे हार्डवर्क करते है. जिनकी कंपनी आज सुनवाई नहीं कर रही. यह कंपनी द्वारा कामगारों पर अन्याय है. कंपनी द्वारा शीघ्र सुनवाई कर उन कामगारों के साथ न्याय नहीं किया गया तो कामगारों द्वारा तीव्र आंदोलन किया जा सकता है. संगठन के विनोद कारेमोरे, कवडू सावरकर, दादाराव ढेंगे, गोपीचंद लोखंडे, त्रिशूल भुरे, सचिन लोखंडे, नीलेश मोहितकर, किशोर भागे, दशरथ पाटिल, किशोर जारोंडे, रमेश थोटे व विदर्भ कामगार संगठन के सभी कामगार उपस्थित थे.

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