जान हथेली पर रख पार कर रहे पटरी

बूटीबोरी से लगे 60 गांवों के लोग करते हैं आना-जाना

बूटीबोरी, (सं.). नगर से लगकर करीब 60 गांवों के लोग आसपास निवास करते है. इसी तरह बूटीबोरी व आसपास के गांवों की तकरीबन एक लाख 50 हजार की जनसंख्या होगी. जिसमें पूर्वी दिशा में सैकड़ों लोग रोजाना बूटीबोरी के मुख्य बाजार में रेल पटरी पार कर अपनी जान में डाल आना जाना करते हैं. दरअसल, पटरी के पार कई गांव है. इनमें वारंगा, वाकेश्वर, परसोडी, कोलार, देवली, घुटी, सरोडी टोली, किरनापुर, घुटी पांजरी, बोथली, बोरखेडी, हनुमान नगर के लोगों का आना जाना पटरी पार रोजाना हो रहा है. ऐसी स्थिति में पहले कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी है. मुख्य बाजार में कई महिलाएं भी पहुंचती हैं. रात में अंधेरे में ही महिलाएं बच्चों के साथ पटरी पार कर घर पहुंचती हैं.

बड़ी लाइन के कारण रफ्तार से चलती है ट्रेनें : नगर में एक्सप्रेस ट्रेनें नहीं रुकती है. ऐसे में इनकी रफ्तार काफी अधिक होती है. इससे पटरी पार करने वालों को हमेशा खतरा बना रहता है. कभी कभी दुर्घटनाएं भी हो जाती है. इसी जगह पर पटरी के नीचे छोटा सा पुल तो है लेकिन इसमें हमेशा गंदा पानी भरा रहता है जिसके कारण वहां से नागरिक का आना-जाना नहीं करते हैं.
फुटओवर ब्रिज की जरूरत: अगर इस जगह पर फुटओवर ब्रिज बनाया जाए तो जनता को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि इसकी आम जनता को आवश्यकता है. रेल पटरी पार करते समय मालगाड़ी या अन्य ट्रेनें कितनी भी रफ्तार से आए बिल्कुल पास आने पर पता चलता कि वह आ रही है. रेल इंजन बिजली के होने के कारण गाड़ी की आवाज भी ज्यादा नहीं आती जिससे कि पदयात्री समझ सके कि सामने से ट्रेन आ रही है. बड़ी लाइन होने के कारण उस स्थान पर कई ट्रेक बने हुए है इससे हमेशा खतरा बना रहता है.

बूटीबोरी नगराध्यक्ष बबलू gautam ne bataya ki पार करने की समस्या कई वर्षों से है. अब पटरी
पार के कई गांवों में जनसंख्या बढ़ने से खतरा डबल हो गया है. बूटीबोरी आते समय पटरी पार करने के अलावा नागरिकों को आने जाने के लिए पर्याय नहीं है. अगर रेलवे द्वारा फुटओवर ब्रिज बनाया जाए तो जरूर जनता की समस्या हल हो जाएगी, यहां निकलते वक्त हर समय डर लगा रहता है. पटरी पार करीब कई गांव लगे हुए है

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