
बुटीबोरी – सिमटते जंगलों के कारण बाघ, तेंदुए वाइल्ड लाइफ क्षेत्र छोड़कर प्रादेशिक इलाकों में पहुंच रहे हैं। इससे आए दिन इंसानों, पालतू पशुओं पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में अब हिंसक वन्यजीवों पर नजर रखने के लिए वन विभाग नए साल के पहले 159 अतिरिक्त ट्रैप कैमरे लगाने जा रहा है, ताकि प्रादेशिक इलाकों में आने वाले बाघ व तेंदुओं पर नजर रखी जा सके। वनकर्मी कैमरों में लगे चिप के माध्यम से लगातार वन्यजीवों की मॉनिटरिंग करेंगे। हाल ही में बुटीबोरी, गोरेवाड़ा में बाघ व तेंदुए की गतिविधियां देखने को मिली हैं। इसी तरह की मूवमेंट अन्य जगहों पर भी आए दिन देखने को मिल रही हैं।

जंगल के आसपास हैं गांव
बाघ, तेंदुओं से वन विभाग तब तक बेखबर रहता है, जब तक यह वन्यजीव सामान्य लोगों की नजरों में नहीं आते हैं। ऐसे में अब उक्त कैमरे इन पर नजर रखेंगे। वर्तमान स्थिति में भी कैमरे लगे हैं, लेकिन वह क्षेत्र की तुलना में काफी कम हैं। जंगलों के आसपास कई गांव बसें हैं, जहां आज भी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में यहां के लोग लकड़ी काटने, पशुओं को चराने के लिए जंगल में जाते रहते हैं। ऐसे में मानव व वन्यजीवों में आए दिन संघर्ष की स्थिति बनती रहती है। कई बार इंसानों की जान भी चली जाती है। इसमें वन विभाग को लाखों रुपए हर्जाने के तौर पर देना पड़ता है। कभी-कभी वन्यजीव भी इंसानी हमलों के शिकार हो जाते हैं। इस तरह के आंकड़े प्रति वर्ष बढ़ रहे हैं।
अवैध शिकारियों पर भी नजर
नागपुर वन परिक्षेत्र में भले ही कोई व्याघ्र प्रकल्प नहीं है, लेकिन यहां काफी इलाका वन विभाग का ऐसा भी है, जहां कई बार बाघों की मौजूदगी देखने को मिलती है। दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाली, काटोल, हिंगणा, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, बुटीबोरी, खापा वन क्षेत्र आदि इलाकों में बाघों की मौजूदगी बढ़ने के अलावा अवैध शिकार का प्रमाण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब यहां वन विभाग सतर्कता के दृष्टि से नजर रखेगा। नए कैमरों से लगभग सभी एरिया कवर करने की दिशा में वन विभाग काम कर रहा है।